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महासागरीय गर्त  महासागरीय बेसिन के सबसे नीचे भाग हैं और इनकी तली औसत महासागरीय नितल के काफी नीचे मिलती हैं । इनकी स्थिति सर्वत्र न मिलकर यत्र-तत्र बिखरे हुए रूप में मिलती हैं । वास्तव में ये महासागरीय नितल पर स्थित तीव्र ढाल वाले लम्बे, पतले तथा गहरे अवनमन के क्षेत्र हैं । इनकी उतपत्ति महासागरीय तली में प्रथ्वी के क्रस्ट के वलन एवं भ्रंशन के परिणामस्वरूप मानी जाती हैं । अर्थात इनकी उत्पत्ति विवर्तनिक क्रियाओं से हुई हैं ।

विश्व के प्रमुख महासागरीय गर्त

मेरियाना गर्त –प्रशान्त महासागर में पूर्वी तथा पश्चिमी किनारों पर इनकी लगभग एक निरन्तर श्रंखला मिलती हैं, जिसमें मेरियाना गर्त सर्वाधिक गहरा हैं । यह विश्व का सबसे गहरा गर्त हैं । यह फिलीपीन्स के पश्चिम में स्थित हैं ।
मिण्डानाओ गर्त–
आटाकामा गर्त
टोंगा गर्त
फिलीपींस गर्त
टासकरोरा गर्त
प्यूर्टोरिका गर्त
रोमशे गर्त — अटलांटिक महासागर
सुण्डा गर्त —


प्रत्याख्यान-

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संपादक- मिथिलेश वामनकर

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